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बोल रे दिल्ली बोल गीत की समीक्षा :-
धन्यवाद!!
उपर्युक्त विषय पर संक्षिप्त व सरल रूप में ज्ञानवर्धक सामग्री यहाँ उपलब्ध है। उम्मीद है कि मेरा यह संगोष्ठी का विषय आपके काम आया होगा!!
धन्यवाद।
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उनका मुस्कुराना हमें कुछ यूँ राज आया....
कुछ ऐसा भान हुआ की मुस्कुराहटों ने भी मुस्काया!!
🤗🤗
-BadeKavi
हमारे जिंदगी ने अब उस मुख से रुख मोड़ लिया है,
जिसने इस मुख के साथ, बेरुखी भरा व्यवहार जो कर लिया है।
बस अब उस रुख के रूखेपन का कुछ यूँ ऐसा एहसास दिलाना है,
जिस चेहरे का दूसरा मुख, जो आज तक मैंने किसी को नहीं दिखाया है !!
-Riतम
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तेरे लंबे से सफर का मैं, हमसफर बन जाऊं।।
तेरी मुस्कुराहटों का मैं, परवाना बन मशहूर हो जाऊं।।
❤️
बस,खुदा से इसी बात की एकमात्र तमन्ना है...
कि इस चाहत को आज के दौर में,
अंजाम दे जाऊं।।
-ऋतम उपाध्याय
इस पाठ के माध्यम से लेखक राहुल सांकृत्यायन ने घुमक्कड़ी वृत्तिकी आवश्यकता क्यों? प्रश्न पर चर्चा की है। वो इस प्रश्न का उत्तर बताते हुए निम्नलिखित बातें कहते हैं :-
१. जिज्ञासा के शमन के लिए :- "शास्त्रों में जिज्ञासा ऐसी चीज़ के लिए होनी बतलाई गई है,जो कि श्रेष्ठ तथा व्यक्ति और समाज सबके लिए परम हितकारी हो।
२. राहुल सांकृत्यायन जी ने दुनिया कि सर्वश्रेष्ठ वस्तु घुमक्कड़ी को माना है। वे बतलाते हैं कि " घुमक्कड़ी " से बढ़ कर व्यक्ति और समाज का कोई हितकारी नहीं हो सकता है।
३. वे कहते हैं कि ज्ञान-विज्ञान के सभी नए आविष्कार घुमक्कड़ वृत्ति के कारण ही संभव है,क्यों कि इससे नई-नई चीज़ों को देखने और जानने का मौका मिलता है
४. उन्होंने प्राणियों कि उत्पत्ति और मानव वंश के विकास पर कि गई चार्ल्स डार्विन खोज को घुमक्कड़ वृत्ति का परिणाम माना है
५. उनका मानना था कि यात्रा-कथाएं घुमक्कड़ी का रस प्रदान करती है, लेकिन पूर्ण रूप से उसके बारे में जानकारी नहीं देती। ,अर्थात
पुस्तकों के माध्यम से हम सिर्फ उसके ऊपरी ज्ञान (दूसरे की दृष्टि से देख कर) को जान सकते हैं, ना कि उस को अच्छी आत्ममंथन कर जान सकेंगे।
६. वे फिर घुमक्कड़ के बारें जिक्र करते हैं की वह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विभूति है।
७. वे इतिहास को गवाह के तौर पर दिखाते हैं कि किस प्रकार मंगोल घुमक्कड़ी वृत्ति के कारण के कारण बारूद,तोप,कागज़,छापाखाना,दिग्दर्शक,चस्मा आदि चीज़ों को पश्चिम में ले गए जिसके फल-स्वरुप पश्चिम में विज्ञान युग का आरम्भ हुआ।
८. सांकृत्यायन जी का मानना था कि - संसार के विभिन्न देशों को परस्पर जोड़ने और आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य घुमक्कड़ी वृत्ति द्वारा ही संभव है।
९. वे एशिया के कूप मण्डूकता के के दुष परिणाम के बारें में भी अपने रचना में चर्चा करते हुए बताते हैं कि - किस प्रकार भारत और चीन का ऑस्ट्रेलिया कि अपार संपत्ति और भूमि से वंचित हो गए।
सांकृत्यायन जी ने समाज के कल्याण के लिए घुमक्कड़ धर्म अनिवार्य बताया है। उनके शब्दों में :-
" जिस जाती या देश ने इस धर्म को अपनाया,वह चारों फलों का भागी हुआ और जिसने इसे दुराया,उसके लिए नरक में भी ठिकाना नहीं। आखिर घुमक्कड़ धर्म भुलाने के कारण ही हम सात शताब्दियों तक धक्का कहते रहे,ऐरे-गैरे जो आए,हमें चार लात लगाते गए। "
सांकृत्यायन जी ने अपनी इस रचना में घुमक्कड़ी वृत्ति के कई लाभ बताये हैं जो कि निम्नलिखित है :-
१.ज्ञान-विज्ञानं के नई खोजोंकी जानकारी
२.दुनिया को जानने के अवसर
३.सभ्यता और संस्कृति के विकास में सहायक
४.धर्म के विकास में सहायक
५.घुमक्कड़ी से निर्भीकता का गुण विकसित होता है
६.संघर्षों और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होना
७.तार्किक बुद्धि और अंधविश्वासों से मुक्त बुद्धि का विकास होना
" अथातो घुमाकड़ जिज्ञासा कि भाषा शैली " :-
* राहुल जी कि भाषा रोचकएवं प्रवाह पूर्ण है।
* भाषा सरल,स्पष्ट एवं साधारण पाठक को भी समझ आने वाली है।
* व्यंग कि पैनी धार से युक्त है। नक़ल करके साहित्य - रचना करने वालों पर तीखा व्यंग्य
* कूपमंडूक धर्माचार्यों पर व्यंग्य
* अरबी-फ़ारसी के शब्दों का प्रयोग- बेकरार,परवाह,दुनिया,छापाखानातोप,मुल्क,हरगिज़,काफिले,करामात,उज्र
घुमक्कड़ी वृत्ति को आवश्यक बताते हुए वे कहते हैं :- " सैर कर दुनियाँ की गाफिल,जिंदगानी फिर कहाँ?
जिंदगी गर कुछ रही तो नोजवानि फिर कहाँ।। "
आज भाग दौड़ तुम,बंद करो
पल भर रुक तुम सब्र करो।
आज का दिन कुछ विशेष है अपना,
जिस दिन सच्चा भारतीय,स्वाधीनता का देखे है सपना।
क्षण भर ठहर तुम करो नमन,
जिससे अर्थहीन न हो शहीदों का जीवन।
आओ मिल जुल कर ले ये प्रण,
जाति-पाति का भेद छोड़,करें देश हित में स्नेह समर्पण।
आप सभी लोगों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ
⚑😇😇😇😇⚑
~ऋतम उपाध्याय